बीते लम्हों की कुछ कहानी लिखें
कुछ नई और कुछ पुरानी लिखें
सोचता हूँ अगर तू मिल जाये
नाम तेरे ये ज़िन्दगानी लिखें,
ज़ख्म इस दिल को जो दिये तूने
क्यूँ ना उनको तेरी निशानी लिखें,
झर रहे हैं जो आँख से गौहर
तुम कहो तो उन्हें भी पानी लिखें,
मजहकों में जो बाँटते हैं हमें
ये लुटेरे हैं खानदानी लिखें,
ख्वाब ही में वो मिलने आते हैं
उनसे रिश्ते मेरे रूहानी लिखें,
आज के दौर में सिवा ज़र के
सारे रिश्तों को बेमआनी लिखें,
आज जो कुछ भी लिख रहा हूँ “उमेश
सब उसी की है मेहरबानी लिखें।
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