लेखनी में जो धार आयेगी
कर्ज सारा उतार आयेगी,
अब उसूलों की जंग धोखा है
ज़िन्दगी मुझको हार आयेगी,
कोई उड़ती हुई खबर दिल की
क्या कभी मेरे द्वार आयेगी,
नाज़ महबूब के उठाकर भी
आरज़ू शर्मसार आयेगी,
किसको मालूम था कि दुनिया में
ज़िन्दगी दिन गुज़ार आयेगी,
बूँद सावन की जो गिरी ‘बर्मा’
फूल चेहरा निखार आयेगी ।
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